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संस्कार

आधुनिकता की चकाचौंध के वशीभूत हम कर रहे
अपनी सभ्यता,संस्कृति और संस्कार को दरकिनार
ओढ़कर आधुनिकता में पश्चिमी सभ्यता की चादर
भूलते जा रहे हैं हम सभी नैतिकता और शिष्टाचार
सारा का सारा दोष हम सब युवाओं पर मढ देते हैं
पर क्या हम अपने कर्तव्य निष्ठापूर्वक निभा पाते हैं
बचपन में बच्चों का दिमाग तो सर्वथा शून्य होता है
जैसी शिक्षा /संस्कार मिलता उसी राह पर बढ़ता है
पूर्व में तो बच्चों को नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाते थे
दादी एवं नानी कहानियों द्वारा नैतिकता सिखाते थे
आधुनिक युग में महापुरुषों की गाथा गायब हो ली
और कामिक्स तथा वीडियो गेम्स ने जगह ने ले ली
वर्तमान शिक्षा प्रणाली भी मानो कुछ हद तक दोषी
सामाजिक परिवेश ने भी आधुनिकता को है पोसी
शिष्टाचार एवं नैतिकता का पाठ नहीं पढ़ाया जाता
अभिभावकों का बच्चों पर उचित ध्यान नहीं होता
अकेलेपन की वजह से टीवी मोबाइल में लगे रहते
बड़ों के संग अधिक समय बच्चे कभी नहीं बिताते

राजीव भारती
पटना बिहार गृह नगर

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