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रिश्तों का सम्मान


प्रभु ने दिया है हमें मानव जीवन का श्रेष्ठ वरदान
सुखमय जीवन चाहिए तो करें रिश्तों का सम्मान
रिश्ते तो होते अनमोल हैं कभी नहीं करें अपमान
झंझावातों से भी तनिक न डिगे रहे बन के चट्टान

भेदभाव नहीं कीजिए रखिए सभीका आदर मान
रिश्ते ऐसे निभायें सर्वदा कि सबको हो अभिमान
सुंदरतम संस्कारों से ही होती हम सबकी पहचान
रिश्ते तो रलता से बनें पर निभाना नहीं आसान

द्वेष, क्लेश,अहं का तनिक भी नहीं हो कभी मान
रिश्ते से कुछ भी नहीं बड़ा रखिए सदा यह ध्यान
रिश्ते की अहमियत समझें नहीं वो है बड़ा नादान
गुण दोष सबमें होते पर करें अच्छाई का गुणगान

पति की चाहत यदि कि पत्नी करे उसका सम्मान
तब पत्नी की होगी चाह कि पति न करें अपमान
मित्र तो बस चाहते सदा मित्र के मुख पर मुस्कान
मैत्री कहां टिक पाती भला जहां मित्र बघारें शान

प्रगति जीवन में वहीं जहां माता पिता का सम्मान
पिता देव तुल्य मां देवी समान फिर क्यों अपमान
भाई बहन के रिश्ते ऐसे कि हों एक दूजे पे कुर्बान
रिश्तों में अगर प्रेम स्नेह न हो तो वह शूल समान

कोई बड़ा कोई छोटा सबके सब एक समान
ऐसा ही भाव मन में हो गर तभी सबका कल्याण
मिलजुल सब ख़ुशी से जीयें इसी में सबकी शान
भूलें कमियां एक दूजे की तभी रिश्ता बने महान

राजीव भारती
पटना बिहार (गृह नगर)

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