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उम्मीद...

 उम्मीद...

बिगड़े हालात भी सुधर जाएं
और ये वक्त भी ठहर जाए


तेरे आने की खबर से

मन कंवल खिल जाए
अजनबी शहर भी
अपना बन जाए


रात सिमटने लगे
और सहर हो जाए
तेरे आने की उम्मीद
दिल में बाकी है


तुम जो आ जाओ
तो बात बन जाए।
ठूंठ सी जिन्दगी में भी
बहार आ जाए।


स्वरचित मौलिक रचना
राजीव भारती
गौतम बुद्ध नगर नोयडा


नयी दिल्ली से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र 'वूमेन एक्सप्रेस' के संपादक महोदया खुशबू पाण्डेय जी का बहुत आभार अपने समाचार पत्र में मुझे स्थान देने के लिए।आज़ ०२.०९.२० के अंक में मेरी कविता "उम्मीद" प्रकाशित हुई है।




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